Wednesday, February 20, 2019

पिछले 8 साल में सशस्त्र बलों के 892 कर्मियों ने की आत्महत्या, सेना के जवान ज्यादा

साल 2011 से 2018 के बीच भारतीय सशस्त्र बलों (सेना, वायु सेना, नौसेना) के 892 कर्मियों ने आत्महत्या कर ली है. संसद में पिछले वर्षों में पूछे गए सवालों से यह आंकड़ा सामने आया है. आत्महत्या करने वालों में सेना के जवान ज्यादा हैं.

आंकड़ों के मुताबिक 2011 में 132, 2012 में 111, 2013 में 117, 2014 में 112, 2015 में 86, 2016 में 129, 2017 में 101 और 2018 में 104 मामले सामने आए. इन आठ वर्षों में आर्मी के 707, एयरफोर्स के 148 कर्मियों और नेवी के 37 कर्मियों ने सुसाइड किया है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2011 में सेना के जवानों के सुसाइड की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हुआ था और उस साल आत्महत्या के 105 वाकये सामने आए थे. इसी तरह साल 2016 में भी सेना में आत्महत्या से 101 मौतें हुई थीं.

पिछले तीन साल की बात करें तो साल 2016 में सैन्य कर्मियों के आत्मदाह के 129 मामले, 2017 में 101 मामले और 2018 में 104 मामले सामने आए. साल 2016 में आर्मी में सुसाइड के 104 मामले, नेवी में 6 मामले और एयरफोर्स में 19 मामले सामने आए. इसी तरह 2017 में आर्मी में सुसाइड के 75, नेवी में 5 और एयरफोर्स में 21 मामले सामने आए. साल 2018 में आर्मी में सुसाइड के 80, नेवी में 8 और एयरफोर्स में 16 मामले सामने आए.

यही नहीं, परेशानी और हताशा की वजह से सैन्य कर्मियों के अपने साथी सैनिकों या परिजनों पर गोलीबारी के भी बहुत सारे वाकए सामने आए हैं. साल 2016 में ऐसे 3 मामले, 2017 में ऐसा एक मामला और 2018 में एक मामला सामने आया है. आर्मी यानी थल सेना में हर साल आत्महत्या से औसतन 88 मौतें, एयर फोर्स में 18.5 मौतें और नेवी में 4.5 मौतें हुईं.

संसद में इस बारे में पिछले महीने पूछ गए एक सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने बताया था कि सशस्त्र बलों में कामकाज के स्वस्थ माहौल को बनाने के लिए सरकार द्वारा कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा था, 'कपड़ों, खाने-पीने, परिवार के साथ रहने, यात्रा सुविधा, स्कूल, मनोरंजन, योगा, मेडिटेशन, स्ट्रेस मैनेजमेंट आदि के मामले में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है. यही नहीं, सेना के उत्तरी और पूर्वी कमांड में जवानों के तनाव को कम करने के लिए 'मिलाप' और 'सहयोग' जैसे प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं.

जवानों की प्रोफेशनल तरीके से काउंसलिंग करने के लिए सेना और वायु सेना ने एक हेल्पलाइन की शुरू की है. ऐसा नहीं कि तनाव और अन्य वजहों से आत्महत्या करने का यह मामला सिर्फ सैन्य बलों में हो. अर्द्ध सैनिक बलों में भी आत्महत्या के वाकए सामने आते रहे हैं. साल 2012 से 2015 के बीच केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)  के 149 जवानों ने आत्महत्या कर ली. इसी तरह, सीआईएसएफ में इस दौरान 56 कर्मियों और आईटीबीपी एवं एसएसबी के 25 जवानों ने आत्महत्या कर ली.

गाड़ी से उतरकर बेलकर अपने कैंप में वापस आ गए और अपने गांव के लिए निकल पडे. लेकिन रास्ते में कुछ ही घंटे बाद उन्हें पता चला कि जिस गाड़ी से बेलकर बटालियन के साथ कश्मीर के लिए निकलने वाले थे उसी गाड़ी पर आतंकी हमला हो गया और इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए. बेलकर अगली सुबह अपने गांव पहुंच गए, लेकिन उन्हें अपने 40 साथियों की मौत का गहरा सदमा है. उन्होंने मीडिया के सामने आकर कुछ भी कहने से मना कर दिया. बेलकर के परिवार को भी इस घटना से सदमा पहुंचा. शादी का जश्न मातम में बदल गया.

आजतक से खास बातचीत में थाका बेलकर के पिता ने बताया की 'हमें अपने बेटे के घर वापस आ जाने की खुशी से ज्यादा इस बात का गम है कि मेरे 40 बेटों की जान चली गई. हमले की घटना के बाद हम सब दुखी हैं. अपने बेटे की शादी हम बिना किसी तामझाम के करेंगे. ठका बेलकर की ताई का कहना है कि इस हमले के बाद उनके यहां शादी को लेकर कोई उत्साह नहीं है. हम आगे कोई खरीदारी नहीं कर रहे. शादी का माहौल होने के बाद भी हमारा मन खरीदारी करने को नहीं हो रहा.

No comments:

Post a Comment