देश के पांच राज्यों के चुनावी नतीजों में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. जबकि कांग्रेस को चुनावी नतीजों से संजीवनी मिल गई है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ बीजेपी के हाथों से निकलकर कांग्रेस शासित राज्य में तब्दील हो गए हैं. नतीजों से साफ है कि 2019 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को सत्ता में वापसी के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
2019 के लोकसभा चुनाव की सत्ता की चाबी पांच राज्यों के पास होगी. इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु शामिल हैं. देश के ये ऐसे पांच राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं. इन राज्यों में कुल 249 संसदीय सीटें है. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी गठबंधन को 148 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को महज 10 सीटें और अन्य के खाते में 91 सीटें आई थीं.
2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर नजर इन्हीं पांच राज्यों पर होगी. विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद माना जा रहा है कि इन राज्यों की सियासी तस्वीर बदल सकती है. बीजेपी के लिए जहां चुनौतियां खड़ी हो रही हैं, वहीं कांग्रेस के लिए संभावनाएं बनती दिख रही हैं.
उत्तर प्रदेश
नरेंद्र मोदी का सारा दारोमदार उत्तर प्रदेश पर टिका हुआ है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा 2 सीटें बीजेपी की सहयोगी अपना दल को मिली थी. इस तरह से एनडीए को 73 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को 2 और सपा को पांच सीटें मिली थी. इसके अलावा 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ऐतिहासिक जीत हासिल करके सत्ता पर विराजमान हुई थी.
अब माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. इनके आने से बीजेपी का समीकरण बिगड़ सकता है. पिछले दिनों सूबे की तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं और बीजेपी ने इन तीनों सीटों को गंवाया है. ऐसे में 2014 जैसे नतीजे 2019 में दोहराना बीजेपी के लिए आसान नहीं है. जबकि सपा-बसपा और कांग्रेस गठबंधन की अच्छी खासी सीटें बढ़ने की उम्मीदें नजर आ रही हैं.
महाराष्ट्र
2019 में नरेंद्र मोदी की वापसी में महाराष्ट्र की अहम भूमिका रहेगी. महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं. 2014 के चुनाव में बीजेपी को 23 और उसकी सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थी. जबकि कांग्रेस 2 और एनसीपी 4 सीटों पर सिमट गई थी. वहीं, एक सीट स्वाभिमान पक्ष को गई थी.
बता दें कि शिवसेना और बीजेपी के रिश्ते भी मनमुटाव भरे दिख रहे हैं. दोनों दल 2019 में अलग-अलग चुनाव लड़ने के संकेत दे चुके हैं. जबकि कांग्रेस और एनसीपी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. ऐसे में 2014 लोकसभा चुनाव जैसे नतीजे बीजेपी के लिए आसान नहीं दिख रहे हैं. जबकि विपक्ष को बढ़ने की उम्मीद नजर आ रही.
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