साल खत्म होने बस कुछ ही दिन बचे हैं और शाओमी 2019 लॉन्च की तैयारी कर रहा है. चीनी स्मार्टफोन मेकर अगले साल की शुरुआत में ही Redmi सीरीज के स्मार्टफोन्स लॉन्च कर सकती है. चीनी सर्टिफिकेशन वेबसाइट TENAA पर तीन नए स्मार्टफोन दर्ज किए गए हैं जो अलग अलग कोडनेम के साथ हैं जिनकी शुरुआत MI से है.
इनमें से एक फोन Redmi 7 हो सकता है. जबकि दूसरा और तीसरा Redmi 7A ,Redmi 7 Pro हो सकते हैं. भारत में Redmi 6, 6A और 6 Pro काफी पॉपुलर हैं इसलिए इन तीनों स्मार्टफोन्स से उम्मीदें ज्यादा हैं. फिलहाल Redmi 7 के बारे में ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन TENAA के पेज पर Redmi 7 Pro के बारे में कुछ जानकारी है. इसके मुताबिक इस स्मार्टफोन में 5.84 इंच की स्क्रीन होगी. स्क्रीन फुल एचडी होगी.
Redmi 7 Pro में नॉच दिया जा सकता है वैसे ही जैसे Note 6 Pro में दिया गया है. इमेज भी लीक हुई हैं जिससे ये पता चलता है कि इस स्मार्टफोन डुअल कैमरा दिया जाएगा. इसकी बैटरी 2,900 mAh की हो सकती है.
Redmi 7A की बात करें तो इसमें क्वॉल्कॉम स्नैपड्रैगन 636 या 632 प्रोसेसर दिया जा सकता है. इसका बेस वेरिएंट 2GB रैम और 32GB इंटरनल मेमोरी वाला होगा, जबकि दूसरे नवेरिएंट में 3GB रैम दिया जा सकता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक ये स्मार्टफोन जनवरी में लॉन्च हो सकते हैं. हाल ही में कंपनी ने Redmi 6A की कीमत हमेशा के लिए कम कर दी हैं, इसलिए इसके अगले वेरिएंट के लॉन्च जल्दी होने की उम्मीद ज्यादा है. कीमतों की बात करें ये तीनों स्मार्टफोन्स 10 हजार रुपये के अंदर लॉन्च हो सकते हैं.
ऑनलाइन गेम में की चीटिंग तो इस देश में हो सकती है जेल
बड़े-बड़े छोटे अपराधों पर लोगों जेल जाते अक्सर सुना होगा, लेकिन एक देश ऐसा भी है जैसा गेम चीटिंग करने पर भी जेल जाना पड़ सकता है और यदि आप जेल नहीं जाना चाहते तो आपको इसके लिए फाइन देना होगा. फाइन की रकम भी कितनी है जान लिजिए. ये रकम है $18,000 या करीब 13 लाख रुपये.
13 साल का भारतीय किशोर दुबई में बना सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी का मालिक
13 साल की उम्र में जहां आम लोग स्कूल पढ़ाई कर रहे होते हैं या होमवर्क के बोझ तले दबे होते हैं. वहीं दुबई में रहने वाला एक भारतीय किशोर महज 13 साल की उम्र में ही एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी का मालिक बन गया है. टेक्नोलॉजी के इस नन्हे जादूगर ने 9 साल की उम्र में ही पहला ऐप बना लिया था. इस जादूगर का नाम है आदित्यन राजेश और इनका ताल्लुक केरल से है.
Tuesday, December 18, 2018
Friday, December 14, 2018
ये 5 बड़े राज्य तय करेंगे 2019 में मोदी की वापसी होगी या नहीं?
देश के पांच राज्यों के चुनावी नतीजों में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. जबकि कांग्रेस को चुनावी नतीजों से संजीवनी मिल गई है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ बीजेपी के हाथों से निकलकर कांग्रेस शासित राज्य में तब्दील हो गए हैं. नतीजों से साफ है कि 2019 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को सत्ता में वापसी के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
2019 के लोकसभा चुनाव की सत्ता की चाबी पांच राज्यों के पास होगी. इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु शामिल हैं. देश के ये ऐसे पांच राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं. इन राज्यों में कुल 249 संसदीय सीटें है. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी गठबंधन को 148 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को महज 10 सीटें और अन्य के खाते में 91 सीटें आई थीं.
2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर नजर इन्हीं पांच राज्यों पर होगी. विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद माना जा रहा है कि इन राज्यों की सियासी तस्वीर बदल सकती है. बीजेपी के लिए जहां चुनौतियां खड़ी हो रही हैं, वहीं कांग्रेस के लिए संभावनाएं बनती दिख रही हैं.
उत्तर प्रदेश
नरेंद्र मोदी का सारा दारोमदार उत्तर प्रदेश पर टिका हुआ है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा 2 सीटें बीजेपी की सहयोगी अपना दल को मिली थी. इस तरह से एनडीए को 73 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को 2 और सपा को पांच सीटें मिली थी. इसके अलावा 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ऐतिहासिक जीत हासिल करके सत्ता पर विराजमान हुई थी.
अब माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. इनके आने से बीजेपी का समीकरण बिगड़ सकता है. पिछले दिनों सूबे की तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं और बीजेपी ने इन तीनों सीटों को गंवाया है. ऐसे में 2014 जैसे नतीजे 2019 में दोहराना बीजेपी के लिए आसान नहीं है. जबकि सपा-बसपा और कांग्रेस गठबंधन की अच्छी खासी सीटें बढ़ने की उम्मीदें नजर आ रही हैं.
महाराष्ट्र
2019 में नरेंद्र मोदी की वापसी में महाराष्ट्र की अहम भूमिका रहेगी. महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं. 2014 के चुनाव में बीजेपी को 23 और उसकी सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थी. जबकि कांग्रेस 2 और एनसीपी 4 सीटों पर सिमट गई थी. वहीं, एक सीट स्वाभिमान पक्ष को गई थी.
बता दें कि शिवसेना और बीजेपी के रिश्ते भी मनमुटाव भरे दिख रहे हैं. दोनों दल 2019 में अलग-अलग चुनाव लड़ने के संकेत दे चुके हैं. जबकि कांग्रेस और एनसीपी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. ऐसे में 2014 लोकसभा चुनाव जैसे नतीजे बीजेपी के लिए आसान नहीं दिख रहे हैं. जबकि विपक्ष को बढ़ने की उम्मीद नजर आ रही.
2019 के लोकसभा चुनाव की सत्ता की चाबी पांच राज्यों के पास होगी. इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु शामिल हैं. देश के ये ऐसे पांच राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं. इन राज्यों में कुल 249 संसदीय सीटें है. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी गठबंधन को 148 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को महज 10 सीटें और अन्य के खाते में 91 सीटें आई थीं.
2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर नजर इन्हीं पांच राज्यों पर होगी. विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद माना जा रहा है कि इन राज्यों की सियासी तस्वीर बदल सकती है. बीजेपी के लिए जहां चुनौतियां खड़ी हो रही हैं, वहीं कांग्रेस के लिए संभावनाएं बनती दिख रही हैं.
उत्तर प्रदेश
नरेंद्र मोदी का सारा दारोमदार उत्तर प्रदेश पर टिका हुआ है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा 2 सीटें बीजेपी की सहयोगी अपना दल को मिली थी. इस तरह से एनडीए को 73 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को 2 और सपा को पांच सीटें मिली थी. इसके अलावा 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ऐतिहासिक जीत हासिल करके सत्ता पर विराजमान हुई थी.
अब माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. इनके आने से बीजेपी का समीकरण बिगड़ सकता है. पिछले दिनों सूबे की तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं और बीजेपी ने इन तीनों सीटों को गंवाया है. ऐसे में 2014 जैसे नतीजे 2019 में दोहराना बीजेपी के लिए आसान नहीं है. जबकि सपा-बसपा और कांग्रेस गठबंधन की अच्छी खासी सीटें बढ़ने की उम्मीदें नजर आ रही हैं.
महाराष्ट्र
2019 में नरेंद्र मोदी की वापसी में महाराष्ट्र की अहम भूमिका रहेगी. महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं. 2014 के चुनाव में बीजेपी को 23 और उसकी सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थी. जबकि कांग्रेस 2 और एनसीपी 4 सीटों पर सिमट गई थी. वहीं, एक सीट स्वाभिमान पक्ष को गई थी.
बता दें कि शिवसेना और बीजेपी के रिश्ते भी मनमुटाव भरे दिख रहे हैं. दोनों दल 2019 में अलग-अलग चुनाव लड़ने के संकेत दे चुके हैं. जबकि कांग्रेस और एनसीपी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. ऐसे में 2014 लोकसभा चुनाव जैसे नतीजे बीजेपी के लिए आसान नहीं दिख रहे हैं. जबकि विपक्ष को बढ़ने की उम्मीद नजर आ रही.
Tuesday, December 11, 2018
खारखेड़ी के पास हल्का टर्न लिया तो गेट के पास खड़ी छात्रा झटके से बाहर जा गिरी, मौत
जयपुर-हैदराबाद सुपरफास्ट एक्सप्रेस की एस-3 बोगी के दरवाजे से गिरकर बीए सेकंड इयर की छात्रा की मौत हो गई। बाथरूम जाने के बाद ट्रेन के दरवाजे के पास खड़ी थी। उस वक्त ट्रेन हल्के मोड़ पर थी।
एक्सपर्ट मानते हैं कि करीब 110 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार होने के कारण मोड़ पर अभिकेंद्रीय बल लगा होगा। तेज हवा के थपेड़े की चपेट में आकर छात्रा चलती ट्रेन से अप-डाउन ट्रैक के बीच में जा गिरी और उसकी मौत हो गई। वह पाली में एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने परिवार के साथ जा रही थी।
मूलत: राजस्थान के ग्राम कुशलपुरा, पाली निवासी अब्बाराम चौधरी सराफा कारोबारी हैं। करीब 35 साल से वे पत्नी गीता देवी, 21 वर्षीय बेटी ललिता और दो बेटों राकेश व राजेश के साथ हैदराबाद के संगारेड्डी में रहते हैं। ललिता बीए सेकंड इयर की छात्रा है। पाली में उनके एक रिश्तेदार की शादी होनी है।
इसके लिए 8 दिसंबर को वे पत्नी, बेटी व अन्य रिश्तेदारों के साथ पाली जाने के लिए जयपुर-हैदराबाद सुपरफास्ट एक्सप्रेस की एस-3 बोगी में सवार हुए। 9 दिसंबर को दोपहर 03:13 बजे ट्रेन बैरागढ़ स्टेशन पहुंची। दो मिनट यहां रुककर ट्रेन आगे बढ़ी। अब्बा राम ने बताया कि इस बीच ललिता बाथरूम जाने का कहकर बर्थ से उठी। पीछे-पीछे मां भी गई। बाथरूम से निकलकर ललिता दरवाजे के पास आकर खड़ी हो गई। खारखेड़ी के पास अचानक वह चलती ट्रेन से बाहर जा गिरी।
चेन-पुलिंग कर रुकवाई ट्रेन : अब्बा राम के मुताबिक बेटी के गिरने का पता चलते ही उन्होंने चेन पुलिंग कर ट्रेन रुकवाई। सभी दौड़कर दो किमी पीछे गए। हादसे की सूचना पर खजूरी सड़क पुलिस भी आ गई। एएसआई श्रीकांत द्विवेदी ने बताया कि ग्राम खारखेड़ी के पीछे से गुजरने वाली लाइन पर ललिता का क्षतिग्रस्त शव अप-डाउन ट्रैक के बीच में पड़ा मिला। यहां ट्रेन हल्का मोड़ लेती है। जब हादसा हुआ, तब ट्रेन की रफ्तार करीब 110 किमी प्रतिघंटा रही होगी।
ट्रेन के टर्न हाेने पर तेजी से अंदर की ओर आती है हवा, हो सकता है हादसा
ये हादसा संत हिरदाराम नगर स्टेशन से 15 किमी दूर हुआ है, यानी उस वक्त ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में थी। जैसा पुलिस का कहना है कि घटनास्थल पर ट्रेन हल्के टर्न पर थी। ऐसे में ट्रेन के गुजरने से उपजी हवा तेजी से खुले दरवाजे से अंदर की तरफ आती है। इस परिस्थिति में अभिकेंद्रीय बल उत्पन्न होता है, जो बगैर कोई सहारा लिए दरवाजे के पास खड़े व्यक्ति को बाहर की ओर ढकेल सकता है। ललिता के साथ हुआ हादसा भी ऐसी ही परिस्थिति में हुआ होगा। इसलिए रेलवे बोर्ड चलती ट्रेन में दरवाजे के पास खड़े न होने की सलाह देता है। - सीएस शर्मा, रेलवे एक्सपर्ट
एक्सपर्ट मानते हैं कि करीब 110 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार होने के कारण मोड़ पर अभिकेंद्रीय बल लगा होगा। तेज हवा के थपेड़े की चपेट में आकर छात्रा चलती ट्रेन से अप-डाउन ट्रैक के बीच में जा गिरी और उसकी मौत हो गई। वह पाली में एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने परिवार के साथ जा रही थी।
मूलत: राजस्थान के ग्राम कुशलपुरा, पाली निवासी अब्बाराम चौधरी सराफा कारोबारी हैं। करीब 35 साल से वे पत्नी गीता देवी, 21 वर्षीय बेटी ललिता और दो बेटों राकेश व राजेश के साथ हैदराबाद के संगारेड्डी में रहते हैं। ललिता बीए सेकंड इयर की छात्रा है। पाली में उनके एक रिश्तेदार की शादी होनी है।
इसके लिए 8 दिसंबर को वे पत्नी, बेटी व अन्य रिश्तेदारों के साथ पाली जाने के लिए जयपुर-हैदराबाद सुपरफास्ट एक्सप्रेस की एस-3 बोगी में सवार हुए। 9 दिसंबर को दोपहर 03:13 बजे ट्रेन बैरागढ़ स्टेशन पहुंची। दो मिनट यहां रुककर ट्रेन आगे बढ़ी। अब्बा राम ने बताया कि इस बीच ललिता बाथरूम जाने का कहकर बर्थ से उठी। पीछे-पीछे मां भी गई। बाथरूम से निकलकर ललिता दरवाजे के पास आकर खड़ी हो गई। खारखेड़ी के पास अचानक वह चलती ट्रेन से बाहर जा गिरी।
चेन-पुलिंग कर रुकवाई ट्रेन : अब्बा राम के मुताबिक बेटी के गिरने का पता चलते ही उन्होंने चेन पुलिंग कर ट्रेन रुकवाई। सभी दौड़कर दो किमी पीछे गए। हादसे की सूचना पर खजूरी सड़क पुलिस भी आ गई। एएसआई श्रीकांत द्विवेदी ने बताया कि ग्राम खारखेड़ी के पीछे से गुजरने वाली लाइन पर ललिता का क्षतिग्रस्त शव अप-डाउन ट्रैक के बीच में पड़ा मिला। यहां ट्रेन हल्का मोड़ लेती है। जब हादसा हुआ, तब ट्रेन की रफ्तार करीब 110 किमी प्रतिघंटा रही होगी।
ट्रेन के टर्न हाेने पर तेजी से अंदर की ओर आती है हवा, हो सकता है हादसा
ये हादसा संत हिरदाराम नगर स्टेशन से 15 किमी दूर हुआ है, यानी उस वक्त ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में थी। जैसा पुलिस का कहना है कि घटनास्थल पर ट्रेन हल्के टर्न पर थी। ऐसे में ट्रेन के गुजरने से उपजी हवा तेजी से खुले दरवाजे से अंदर की तरफ आती है। इस परिस्थिति में अभिकेंद्रीय बल उत्पन्न होता है, जो बगैर कोई सहारा लिए दरवाजे के पास खड़े व्यक्ति को बाहर की ओर ढकेल सकता है। ललिता के साथ हुआ हादसा भी ऐसी ही परिस्थिति में हुआ होगा। इसलिए रेलवे बोर्ड चलती ट्रेन में दरवाजे के पास खड़े न होने की सलाह देता है। - सीएस शर्मा, रेलवे एक्सपर्ट
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