Tuesday, May 28, 2019

TMC सांसद मिमि चक्रवर्ती, नुसरत जहां संसद में तस्वीर खिंचाकर क्यों हुईं ट्रोल? -सोशल

इन महिला सांसदों में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की नुसरत जहां और मिमि चक्रवर्ती भी शामिल हैं.

हाल ही में जब ये दोनों सांसद पहली बार संसद पहुंची तो उन्होंने अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी पोस्ट की.

नुसरत ने लिखा, ''एक नई शुरुआत. मुझ पर भरोसा जताने के लिए ममता बनर्जी और बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के लोगों का शुक्रिया.' जाधवपुर से जीतकर संसद पहुंची मिमि चक्रवर्ती ने लिखा- संसद में पहला दिन.''

इन तस्वीरों में नुसरत और मिमि के कपड़ों और तस्वीर के लिए दिए गए पोज़ पर कुछ लोग आपत्ति जता रहे हैं.

ये आपत्तियां बीजेपी से जुड़े कुछ लोगों की तरफ़ से भी आ रही हैं और आम लोगों की तरफ़ से भी.

बीजेपी से जुड़े आशीष मार्खेड मे लिखा, ''पहली तस्वीर में आप बीजेपी के युवा सांसद तेजस्वी सूर्या को देखिए. दूसरी तस्वीर में टीएमसी की सांसदों मिमि और नुसरत जहां को देखिए.''

नुसरत की इंस्टाग्राम पोस्ट पर भी आम लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

सयानी मुखर्जी ने लिखा, ''बशीरहाट के लोगों शर्म करो शर्म. ऐसी औरत को चुनकर तुमने संसद का मज़ाक़ उड़ाया है.''

वैशाली लिखती हैं, ''ये देश की संसद है या फैशन शो?''

हिमांशु ने शशि थरूर की तस्वीर के साथ लिखा- इस बार संसद में हाज़िरी 100 फ़ीसदी रहेगी.

अर्पण ने लिखा, ''संसद फोटो स्टूडियो नहीं है. ज़रा फॉर्मल कपड़े पहनना शुरू कीजिए.''

प्रियंका नाम की यूज़र ने लिखा, ''आपको भारतीय परिधान पहनने की ज़रूरत है. आप संसद में लोगों के लिए जा रही हैं, फ़िल्मों के प्रमोशन के लिए नहीं.''

ऐसी ही कुछ प्रतिक्रियाएं मिमि चक्रवर्ती की तस्वीरों पर भी आईं.

श्रेष्ठ शर्मा ने लिखा, ''आपको मालूम है कि कैसे कपड़े पहनने चाहिए. मैं उम्मीद करता हूं कि ये कोई शूटिंग की जगह नहीं है.''

स्वर्णदीप घोष ने लिखा, ''आपका सपना ये तो नहीं होगा कि संसद के बाहर जाकर तस्वीर खिंचवाएं?''

हालांकि कुछ लोगों ने दोनों सांसदों के तस्वीरें डालने का समर्थन किया और ट्रोल करने वाले लोगों पर आपत्ति जताई.

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सबसे ज़्यादा यानी 41 फ़ीसदी महिलाओं को टिकट दिया था, जिनमें से कई फ़िल्मी हस्तियां भी शामिल रहीं.

ये दोनों सांसद ही पहली बार जीतकर संसद पहुंची हैं.

टीएमसी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाली 17 में से 9 महिलाओं ने चुनाव में जीत दर्ज की है.

नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने 7 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिनमें से 71 फ़ीसदी महिला उम्मीदवार यानी 7 में से 5 महिला उम्मीदवार ये चुनाव जीतने में सफल रही हैं.

इस तरह बीजेडी 7 पुरुष और 5 महिलाओं को लोकसभा में भेजेगी. ये शायद किसी पार्टी के सांसदों में सबसे बेहतरीन लैंगिक संतुलन है.

Tuesday, May 21, 2019

राजीव गांधी: वो धमाका जिसने उन्हें मार डाला

अपनी हत्या से कुछ ही पहले अमरीका के राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी ने कहा था कि अगर कोई अमरीका के राष्ट्रपति को मारना चाहता है तो ये कोई बड़ी बात नहीं होगी बशर्ते हत्यारा ये तय कर ले कि मुझे मारने के बदले वो अपना जीवन देने के लिए तैयार है.

"अगर ऐसा हो जाता है तो दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे बचा नहीं सकती."

21 मई, 1991 की रात दस बज कर 21 मिनट पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में ऐसा ही हुआ.

तीस साल की एक नाटी, काली और गठीली लड़की चंदन का एक हार ले कर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की तरफ़ बढ़ी. जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए झुकी, कानों को बहरा कर देने वाला धमाका हुआ.

उस समय मंच पर राजीव के सम्मान में एक गीत गाया जा रहा था.... राजीव का जीवन हमारा जीवन है... अगर वो जीवन इंदिरा गांधी के बेटे को समर्पित नहीं है... तो वो जीवन कहाँ का?

वहाँ से मुश्किल से दस गज़ की दूरी पर गल्फ़ न्यूज़ की संवाददाता और इस समय डेक्कन क्रॉनिकल, बेंगलुरु की स्थानीय संपादक नीना गोपाल, राजीव गांधी के सहयोगी सुमन दुबे से बात कर रही थीं.

नीना याद करती हैं, "मुझे सुमन से बातें करते हुए दो मिनट भी नहीं हुए थे कि मेरी आंखों के सामने बम फटा. मैं आमतौर पर सफ़ेद कपड़े नहीं पहनती. उस दिन जल्दी-जल्दी में एक सफ़ेद साड़ी पहन ली. बम फटते ही मैंने अपनी साड़ी की तरफ़ देखा. वो पूरी तरह से काली हो गई थी और उस पर मांस के टुकड़े और ख़ून के छींटे पड़े हुए थे. ये एक चमत्कार था कि मैं बच गई. मेरे आगे खड़े सभी लोग उस धमाके में मारे गए थे."

नीना बताती हैं, "बम के धमाके से पहले पट-पट-पट की पटाखे जैसी आवाज़ सुनाई दी थी. फिर एक बड़ा सा हूश हुआ और ज़ोर के धमाके के साथ बम फटा. जब मैं आगे बढ़ीं तो मैंने देखा लोगों के कपड़ो में आग लगी हुई थी, लोग चीख रहे थे और चारों तरफ़ भगदड़ मची हुई थी. हमें पता नहीं था कि राजीव गांधी जीवित हैं या नहीं."

श्रीपेरंबदूर में उस भयंकर धमाके के समय तमिलनाडु कांग्रेस के तीनों चोटी के नेता जी के मूपनार, जयंती नटराजन और राममूर्ति मौजूद थे. जब धुआँ छटा तो राजीव गाँधी की तलाश शुरू हुई. उनके शरीर का एक हिस्सा औंधे मुंह पड़ा हुआ था. उनका कपाल फट चुका था और उसमें से उनका मगज़ निकल कर उनके सुरक्षा अधिकारी पीके गुप्ता के पैरों पर गिरा हुआ था जो स्वयं अपनी अंतिम घड़ियाँ गिन रहे थे.

बाद में जी के मूपनार ने एक जगह लिखा, "जैसे ही धमाका हुआ लोग दौड़ने लगे. मेरे सामने क्षत-विक्षत शव पड़े हुए थे. राजीव के सुरक्षा अधिकारी प्रदीप गुप्ता अभी ज़िंदा थे. उन्होंने मेरी तरफ़ देखा. कुछ बुदबुदाए और मेरे सामने ही दम तोड़ दिया मानो वो राजीव गाँधी को किसी के हवाले कर जाना चाह रहे हों. मैंने उनका सिर उठाना चाहा लेकिन मेरे हाथ में सिर्फ़ मांस के लोथड़े और ख़ून ही आया. मैंने तौलिए से उन्हें ढक दिया."

मूपनार से थोड़ी ही दूरी पर जयंती नटराजन अवाक खड़ी थीं.

बाद में उन्होंने भी एक इंटरव्यू में बताया, "सारे पुलिस वाले मौक़े से भाग खड़े हुए. मैं शवों को देख रही थी, इस उम्मीद के साथ कि मुझे राजीव न दिखाई दें. पहले मेरी नज़र प्रदीप गुप्ता पर पड़ी... उनके घुटने के पास ज़मीन की तरफ मुंह किए हुए एक सिर पड़ा हुआ था... मेरे मुंह से निकला ओह माई गॉड... दिस लुक्स लाइक राजीव."

वहीं खड़ी नीना गोपाल आगे बढ़ती चली गईं, जहाँ कुछ मिनटों पहले राजीव खड़े हुए थे.

नीना बताती है, "मैं जितना भी आगे जा सकती थी, गई. तभी मुझे राजीव गाँधी का शरीर दिखाई दिया. मैंने उनका लोटो जूता देखा और हाथ देखा जिस पर गुच्ची की घड़ी बँधी हुई थी. थोड़ी देर पहले मैं कार की पिछली सीट पर बैठकर उनका इंटरव्यू कर रही थी. राजीव आगे की सीट पर बैठे हुए थे और उनकी कलाई में बंधी घड़ी बार-बार मेरी आंखों के सामने आ रही थी.

इतने में राजीव गांधी का ड्राइवर मुझसे आकर बोला कि कार में बैठिए और तुरंत यहाँ से भागिए. मैंने जब कहा कि मैं यहीं रुकूँगी तो उसने कहा कि यहाँ बहुत गड़बड़ होने वाली है. हम निकले और उस एंबुलेंस के पीछे पीछे अस्पताल गए जहाँ राजीव के शव को ले जाया जा रहा था."

दस बज कर पच्चीस मिनट पर दिल्ली में राजीव के निवास 10, जनपथ पर सन्नाटा छाया था. राजीव के निजी सचिव विंसेंट जॉर्ज अपने चाणक्यपुरी वाले निवास की तरफ़ निकल चुके थे.

जैसे ही वो घर में दाख़िल हुए, उन्हें फ़ोन की घंटी सुनाई दी. दूसरे छोर पर उनके एक परिचित ने बताया कि चेन्नई में राजीव से जुड़ी बहुत दुखद घटना हुई है.

जॉर्ज वापस 10 जनपथ भागे. तब तक सोनिया और प्रियंका भी अपने शयन कक्ष में जा चुके थे. तभी उनके पास भी ये पूछते हुए फ़ोन आया कि सब कुछ ठीक तो है. सोनिया ने इंटरकॉम पर जॉर्ज को तलब किया. जॉर्ज उस समय चेन्नई में पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी से बात कर रहे थे. सोनिया ने कहा जब तक वो बात पूरी नहीं कर लेते वो लाइन को होल्ड करेंगीं.

नलिनी ने इस बात की पुष्टि की कि राजीव को निशाना बनाते हुए एक धमाका हुआ है लेकिन जॉर्ज सोनिया को ये ख़बर देने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. दस बज कर पचास मिनट पर एक बार फिर टेलीफ़ोन की घंटी बजी.

रशीद किदवई सोनिया की जीवनी में लिखते हैं, "फ़ोन चेन्नई से था और इस बार फ़ोन करने वाला हर हालत में जॉर्ज या मैडम से बात करना चाहता था. उसने कहा कि वो ख़ुफ़िया विभाग से है. हैरान परेशान जॉर्ज ने पूछा राजीव कैसे हैं? दूसरी तरफ़ से पाँच सेकेंड तक शांति रही, लेकिन जॉर्ज को लगा कि ये समय कभी ख़त्म ही नहीं होगा. वो भर्राई हुई आवाज़ में चिल्लाए तुम बताते क्यों नहीं कि राजीव कैसे हैं? फ़ोन करने वाले ने कहा, सर वो अब इस दुनिया में नहीं हैं और इसके बाद लाइन डेड हो गई."

जॉर्ज घर के अंदर की तरफ़ मैडम, मैडम चिल्लाते हुए भागे. सोनिया अपने नाइट गाउन में फ़ौरन बाहर आईं. उन्हें आभास हो गया कि कुछ अनहोनी हुई है.

आम तौर पर शांत रहने वाले जॉर्ज ने इस तरह की हरकत पहले कभी नहीं की थी. जॉर्ज ने काँपती हुई आवाज़ में कहा "मैडम चेन्नई में एक बम हमला हुआ है."

सोनिया ने उनकी आँखों में देखते हुए छूटते ही पूछा, "इज़ ही अलाइव?" जॉर्ज की चुप्पी ने सोनिया को सब कुछ बता दिया.

रशीद बताते हैं, "इसके बाद सोनिया पर बदहवासी का दौरा पड़ा और 10 जनपथ की दीवारों ने पहली बार सोनिया को चीख़ कर विलाप करते सुना. वो इतनी ज़ोर से रो रही थीं कि बाहर के गेस्ट रूम में धीरे-धीरे इकट्ठे हो रहे कांग्रेस नेताओं को वो आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी. वहाँ सबसे पहले पहुंचने वालों में राज्यसभा सांसद मीम अफ़ज़ल थे.

उन्होंने मुझे बताया कि सोनिया के रोने का स्वर बाहर सुनाई दे रहा था. उसी समय सोनिया को अस्थमा का ज़बरदस्त अटैक पड़ा और वो क़रीब-क़रीब बेहोश हो गईं. प्रियंका उनकी दवा ढ़ूँढ़ रही थीं लेकिन वो उन्हें नहीं मिली. वो सोनिया को दिलासा देनी की कोशिश भी कर रही थीं लेकिन सोनिया पर उसका कोई असर नहीं पड़ रहा था."

Thursday, May 9, 2019

Создатели "Игры престолов" объяснили появление в кадре стаканчика из Starbucks

Телеканал HBO прокомментировал неожиданное появление в четвертом эпизоде восьмого сезона "Игры престолов" бумажного стаканчика из кофейни Starbucks, вызвавшего бурную реакцию фанатов сериала в соцсетях.

"Латте появился в кадре по ошибке. На самом деле Дейенерис заказывала травяной чай", - говорится в шутливом заявлении телеканала.

Несоответствующий реалиям картины реквизит появился на столе рядом с Бурерожденной Матерью драконов Дейенерис Таргариен, которую играет Эмилия Кларк, во время пиршества в Винтерфелле по случаю победы над армией белых ходоков во главе с Королем Ночи.

Внимательные зрители заметили киноляп, который тут же стал поводом для шуток и острот в социальных сетях.

Пользователи "Твиттера" шутили, что Дейенерис так сильно устала во время битвы при Винтерфелле, что отправилась в кофейню Starbucks за стаканчиком латте. Также пользователи соцсети шутили, что полное имя героини сериала, скорее всего, не уместилось на стакане.

Представитель Starbucks отреагировал на едкие шутки зрителей раньше, чем создатели сериала.

"Честно говоря, мы удивились, что она [Дейенерис Таргариен] не заказала драконий напиток [прохладительный напиток Dragon Drink доступен в некоторых странах, где работают кофейни Starbucks]", - признались в компании.

Исполнительный продюсер Берни Колфилд в интервью радиостанции WNYC также прокомментировала кадры с кружкой из Starbucks.

"Как вы знаете, Вестерос был первым местом, где появились кофейни Starbucks", - попыталась отшутиться Колфилд. Однако она извинилась за досадную ошибку и призналась, что сама была в шоке, когда увидела в фильме забытый стаканчик.

Колфилд отметила, что реквизиторы и декораторы работают на "1000 процентов", и подобные проколы во время съемок "Игры престолов" - большая редкость.

"Если это самое плохое, что они нашли в сериале, то у нас явно все хорошо", - сказала Берни Колфилд.

Некоторые пользователи соцсетей, однако, были не расположены шутить и отнеслись к киноляпу довольно серьезно, отметив, что хотя все это смешно и забавно, однако создатели сериала потратили два года на съемки нового сезона и при этом допустили такую грубую ошибку.

Многие зрители, впрочем, снисходительно отнеслись к ошибке, допущенной создателями "Игры престолов".

"Мне нравится, что Дейенерис отправила кого-то в Starbucks вскоре после битвы при Винтерфелле. Даже Бурерожденная Мать драконов нуждается в своей ежедневной чашке кофе, чтобы функционировать!" - написала девушка под ником Theodora.

Monday, May 6, 2019

天皇德仁即位:聚焦孤军作战的日本废除天皇运动

日本这个星期庆祝新天皇德仁登基的同时,BBC泰语记者黄阿南(音译,Nopporn Wong-Anan)到东京一个角落,观察到一场与庆祝活动气氛完全相反的游行。

这个游行由一个要求废除日本天皇制度的团体举行。参加游行的人走向一个公园,高叫口号呼吁日本“不要忘记天皇的战争责任”。

这些人大多是上年纪的老人,他们代表的是日本社会上十分少数的群体,曾有一定数量的支持者,但类似的声音近年越来越小。

根据日本传说,日本的天皇是天照大神的后代,因此日本号称拥有世上历史最久、而且仍然存在的皇朝。第二次世界大战结束前,日皇被视为具有“神性”。

但日本一个名为“反天皇制运动连络会”的组织过去30多年,都呼吁要废除日本的帝王制度,认为这才能让日本真正为上世纪三四十年代发动的战争赎罪。

这个连络会一名称为野村的成员对BBC说,他认为战争“并没有妥善的完结”。他说他害怕被日本保守组织报复,只愿意透露他的姓氏。

他在连络会设在东京的一个小小办公室接受访问时说,日本战时天皇裕仁是一名犯下反人类罪行的战犯。

野村说,裕仁对军事十分有兴趣,“他害怕跟美国和英国打仗,只因为他知道日本的军力比不上对方”。

到今天,历史学家仍然无法为裕仁在第二次世界大战的责任,达成共识。

裕仁从1926年就位天皇,直至1989年驾崩为止。他在日本战败后宣告,天皇不再具有“神性”。

美国在战后为日本订立宪法,把日本的政制改为君主立宪,保留天皇,但规定他只是一个“国家象征”,不能参加政治活动。

野村认为,日本保留天皇职位,令裕仁没有为他在第二次世界大战中扮演的角色负责。

周二(4月30日)退位的明仁1989年成为日本天皇后,被视为日本和平的象征。美国波特兰州立大学(Portland State University)教授劳夫(Ken Ruoff)介绍,明仁在位期间最受注意的工作,就是尝试修补战争遗下的伤疤,“尽力改善日本与战争受害国的关系”。

明仁1975年以太子的身份与妻子美智子一起访问冲绳,那是二战中伤亡最多的地方之一,当地约10万名平民在战争中死亡。明仁夫妇被示威者袭击,但没有受伤。

除了冲绳,明仁也访问了中国和印尼等受战祸影响的地方,他不可以谈论政治,但仍多次呼吁外界不要忘记战争的可怕。

东南亚多个曾受日本侵略的国家一直批评日方没有完全就其行为道歉,但明仁当上天皇后, 日本国内对皇室的支持有增无减。劳夫介绍说,日本国内调查显示有70%至80%的国民都支持保留天皇制度。

“反天皇制运动连络会”成员野村承认,他组织的成员数量近年不断减少。组织在1980年代发起游行,曾经有3000多人参加,但近年吸引新成员十分困难。

连络会在周一(4月29日)明仁让位前发起游行,只有80多人参加,比受命维持现场秩序的警员还少。

野村说追求一个不受外界欢迎的目标是件孤独的事情,但他始终认为向公众介绍天皇制度带来的问题十分重要。他认为,日本现在经济衰退,面临“身份危机”,以首相安倍晋三为首的政府以为可以借助天皇的力量,给自己支持。

只要健康许可,野村计划在今后10年继续参加运动,但他要成功争取目标不是容易的事情——日本的天皇制度已经有2000多年历史,而且天皇的角色与许多日本文化十分有关系。

天皇换代令日本社会充满着对天皇的爱慕之情,也许同时令日本应否走向共和制度的争议划上休止符。最少,皇位再次悬空前都会是这样。