Wednesday, November 21, 2018

राजस्थान में चुनावी जंग के लिए तैयार हैं पूर्व राजघराने

राजस्थान में पूर्व राज परिवारों ने चुनावी राजनीति में अपनी दखल और दिलचस्पी बरकार रखी है. इस बार भी जब चुनावी जंग के लिए मैदान सुसज्जित हुआ तो पूर्व राजघरानों के सदस्य मुक़ाबले में खड़े मिले.

इसके अलावा कुछ पूर्व सामंत और ठिकानेदार भी चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें कोई सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ है तो कोई कांग्रेस के पाले में है.

विश्लेषक कहते हैं कि सामंती संस्कृति के कारण पूर्व राजघरानों का प्रभाव अब भी मौजूद है. लेकिन इतना भर चुनावी जीत की ज़मानत नहीं दे सकता.

कोई तीन माह पहले जब जैसलमेर के पूर्व राज परिवार की राजेश्वरी राज्यलक्ष्मी ने एक जलसे में चुनाव लड़ने की मुनादी की, तो उनके समर्थकों ने हर्षनाद किया. मगर अब उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम नहीं है.

जयपुर के पूर्व राजवंश की दीया कुमारी अभी सत्तारूढ़ बीजेपी से विधायक हैं. लेकिन दीया कुमारी ने अपनी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है.

उन्होंने मीडिया से कहा कि इसका कोई अन्य अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. वे पार्टी के लिए बदस्तूर काम करती रहेंगी. पार्टी जो भी ज़िम्मेदारी सौंपेगी, निभाया जायेगा.

जानकारों के मुताबिक, पार्टी का एक वर्ग उनके नाम की ख़िलाफ़त कर रहा था. यह भी ग़ौरतलब है कि कोई दो साल पहले एक सम्पति को लेकर बीजेपी सरकार से पूर्व राज परिवार का विवाद इतना बढ़ा कि राजपूत समाज ने सड़कों पर मोर्चा निकाला.

इन विधानसभा चुनावों में पूर्व राजपरिवारों के सदस्यों की मौजूदगी ने चुनावी मुक़ाबले को रोचक बना दिया है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खुद धौलपुर के पूर्व राजपरिवार से हैं और अपनी पारम्परिक सीट झालरापाटन से चुनाव लड़ रही हैं.

कांग्रेस ने वसुंधरा राजे के विरुद्ध मारवाड़ में जसोल के मानवेन्द्र सिंह को उतारा है. राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ से सांसद हैं. इसके अलावा कोटा के पूर्व राजघराने की कल्पना, बीकानेर में सिद्धि कुमारी, भरतपुर पूर्व रियासत की कृषेन्द्र कौर दीपा और विश्वेन्द्र सिंह भी चुनाव लड़ रहे हैं. मुस्लिम रियासत रही लोहारू के ए ए खान दुरु मियां अलवर ज़िले में कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं.

कोटा में पूर्व राजपरिवार के इज्य राज सिंह कांग्रेस से संसद सदस्य रहे हैं. अब वे बीजेपी में हैं. उनकी पत्नी कल्पना कोटा में पार्टी प्रत्याशी हैं. वे कहते हैं कि पूर्व राजपरिवार जनता को हमेशा स्वीकार्य रहे हैं.

सिंह कहते हैं जो भी दिल से काम करता है, लोग उसे स्वीकार करते हैं. पूर्व राजपरिवारों के लोग लगातार सियासत में रहे हैं. कोई राजनीति में रह कर सेवा कर रहा है तो कोई अपने ढंग से समाज की सेवा कर रहा है. इसमें कुछ भी नया नहीं है.

Monday, November 12, 2018

'स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी' पर उठाए सवाल तो मुझे देशद्रोही कहा: प्रकाश राज

अभिनेता प्रकाश राज ने कहा है कि फ़ेक न्यूज़ बहुत पहले से हो रही है, लेकिन अब ये काम संगठित तौर पर हो रहा है और इससे समाज को नुकसान होगा.

बीबीसी ने फ़ेक न्यूज़ के ख़िलाफ़ एक ख़ास अभियान शुरू किया है और इसी सिलसिले में राजधानी दिल्ली समेत देश के सात प्रमुख शहरों में सोमवार को विशेष कार्यक्रम आयोजित हुए.

चेन्नई में आयोजित कार्यक्रम में प्रकाश राज ने कहा कि एक वक्त में उन्हें ट्विटर पर हर रोज करीब 300 संदेश मिल रहे थे. ट्विटर फीड पर आ रहे संदेश कितने सही हैं और और उनके जवाब दिए जाने चाहिए कि नहीं, इसकी जाँच करने के लिए एक टीम काम करती थी. लेकिन, हर कोई ऐसा तो नहीं कर सकता.

प्रकाश राज ने कहा, "इन दिनों फ़ेक न्यूज़ तेज़ी से फैल रही है. इतने सधे हुए तरीके से कि लोगों के दिमाग़ में जरा भी शक नहीं होता."

उन्होंने कहा, "उन्होंने एक मूर्ति पर तीन हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए और हमें बता रहे हैं कि ये मूर्ति हमारी सांस्कृतिक पहचान है और हमारी सभ्यता का प्रतीक है. इसके पीछे ख़ास मकसद है. क्योंकि मैंने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है, इसलिए वे मुझे देशद्रोही के रूप में पेश कर रहे हैं."

दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति यानी 'स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी' सरदार सरोवर बांध के दक्षिण में स्थित नर्मदा नदी के साधु बेटद्वीप पर बनी है.

182 मीटर ऊंची इस मूर्ति का अनावरण 31 अक्टूबर, 2018 को किया गया.

सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल इंटीग्रेशन ट्रस्ट वो संस्था है जिसने इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का काम किया है.

बीबीसी के एक नए रिसर्च में ये बात सामने आई है कि लोग 'राष्ट्र निर्माण' की भावना से राष्ट्रवादी संदेशों वाली फ़ेक न्यूज़ को साझा कर रहे हैं. राष्ट्रीय पहचान ख़बरों से जुड़े तथ्यों की जांच की ज़रूरत पर भारी पड़ रहा है.

कांग्रेस पार्टी का सोशल मीडिया का कामकाज देख रही दिव्या स्पंदना ने दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि वो ये तो नहीं कहेंगी कि कांग्रेस बेहतर सामंजस्य वाली पार्टी नहीं है. लेकिन सच के मुक़ाबले फ़ेक न्यूज़ अधिक रफ़्तार से चलती है.

उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास अधिक पैसा है, और अच्छे एससीओ के बूते उनकी पहुँच भी अधिक लोगों तक है.

फैक्ट चेक वेबसाइट अल्टन्यूज़ के प्रतीक सिन्हा ने कहा, "ये ज़रूरी नहीं है कि जानकारी हासिल करने के लिए किसी शख्स के पास व्हाट्सऐप ही हो- ग्रामीण इलाकों में फ़ेक न्यूज़ तो बस बातों-बातों में दूर तक फैल जाती है. इसलिए ये धारणा गलत है कि इंटरनेट की पहुँच कम होने से फ़ेक न्यूज़ नहीं फैलेगी."

आम आदमी पार्टी से जुड़े अंकित लाल ने कहा, "फ़ेक न्यूज़ की समस्या से निपटने के लिए सरकार के पास एक व्यवस्था होनी चाहिए. इसके लिए कानून बदलने होंगे. हम अब भी 19वीं सदी के टेलीग्राफ़ कानूनों का इस्तेमाल कर रहे हैं."

वहीं एक्टिविस्ट और लेखिका मधु किश्वर का कहना है कि सोशल मीडिया इस दुनिया की सबसे लोकतांत्रिक चीज़ है जहां लोग आपको पल भर में ना केवल दुरुस्त कर देते हैं, बल्कि चुनौती भी देते हैं कि आप क्या कह रहे हैं.

मधु किश्वर कहती हैं, ''सोशल मीडिया ने सबको एक स्तर पर ला दिया है. सोशल मीडिया कोई बुराई नहीं है. ये सबसे अधिक लोकतांत्रिक चीज़ है.''